“विंग्स ऑफ़ फायर ” भारत के प्रसिद्ध और लोकप्रिय राष्ट्रपति डॉ. ए पि जे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित प्रसिद्ध किताब है।डॉ. ए पि जे अब्दुल कलाम सिर्फ भारत के राष्ट्रपति ही नहीं बल्कि एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक भी थे। उन्हें तीन उच्च नागरिक अवॉर्ड- पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से भी नवाजा गया है। विंग्स ऑफ़ फायर उनकी जीवनी पर आधारित पुस्तक यानि ऑटोबायोग्राफी है जो उन्होंने अरुण तिवारी के साथ मिलकर लिखी है। इस किताब में डॉ. कलाम के बचपन से लेकर भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक बनने के सफर की कहानी है जो वाचक को जीवन के बारे में प्रेरित करती है। जब भी आप इस पुस्तक को पढ़ते है तो आपका मन पॉजिटिव एनर्जी से भर जाता है। हर एक व्यक्ति को चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो ये किताब एक बार अवश्य पढ़नी चाहिए।
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एक दूरदर्शी की यात्रा:
विंग्स ऑफ फायर” पाठकों को डॉ. अब्दुल कलाम के जीवन की एक उल्लेखनीय यात्रा पर ले जाता है। एक छोटे शहर में उनकी साधारण शुरुआत से लेकर एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अंततः भारत के राष्ट्रपति बनने तक। ज्वलंत कहानी कहने और हार्दिक चिंतन के माध्यम से, डॉ. कलाम उन चुनौतियों को साझा करते हैं जिनका उन्होंने सामना किया, जिन विजयों का उन्होंने जश्न मनाया और जो गहन सबक उन्होंने इस दौरान सीखे। उनकी यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत कथा नहीं है, बल्कि किसी के सपनों के प्रति दृढ़ता, जुनून और अथक समर्पण की शक्ति का एक प्रमाण है।
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प्रेरक पाठ
विंग्स ऑफ फायर” के केंद्र में डॉ. कलाम द्वारा अपने अनुभवों के माध्यम से दी गई अमूल्य सीख हैं। शिक्षा और कड़ी मेहनत के महत्व से लेकर सत्यनिष्ठा और विनम्रता के महत्व तक, प्रत्येक अध्याय ज्ञान और अंतर्दृष्टि से भरपूर है। दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता में डॉ. कलाम का अटूट विश्वास एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि महानता हम में से प्रत्येक के भीतर निहित है, जो प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रही है।
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रामानंद शास्त्री
किताब के शुरुवाती चैप्टर्स में डॉ कलाम लिखते है की कैसे उस समय सभी जाती और धर्म के लोग मिलजुलकर रहते थे। एक घटना के बारे में डॉ कलाम लिखते है , जब वह पांचवी कक्षा में पढ़ते थे तो उनके स्कूल में एक नए टीचर आये थे , कलाम लिखते है की मै एक टोपी पहनता था जो आमतौर पर मुस्लिम समुदाय के लोग पहनते थे। मेरा एक दोस्त था रामानंद शास्त्री जो की एक ब्राह्मण परिवार से था और जनेऊ पहनता था। हम दोनों हमेशा आगे की पंक्ति में बैठते थे। नए टीचर को एक मुस्लिम लड़के का एक हिन्दू पुजारी के बेटे के साथ बैठना बिलकुल हजम नहीं हुआ , उन्होंने मुझे पीछे की बेंच पर जाके बैठने को कहा। मुझे और मेरे दोस्त रामानंद को इसका बहुत बुरा लगा।मुझे पीछे बिठाया इसलिए रामानंद रोने लगा , उसे रोता हुआ देख मुझे भी रोना आया। शाम को घर जाने के बाद हम दोनों ने घटी घटना को अपने अपने घर अपने माता पिता को बताया। रामानंद के पिता लक्षमण शास्त्री ने उस टीचर को घर बुलाया और हमारे सामने ही उसे डाटा की उनको इन मासूम बच्चो के मन में सामाजिक भेदभाव का जहर नहीं घोलना चाहिए।उन्होंने टीचर से कहा की वह अपने बर्ताव की माफ़ी मांगे या स्कूल ही छोड़ दे , आखिरकार टीचर ने माफ़ी मांगी।
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शिवानंद स्वामी का उपदेश
स्कूली शिक्षा ख़तम होने के बाद कलाम एयर फ़ोर्स पायलट बनना चाहते थे , पर वह इंटरव्यू नहीं पास कर पाए। इस असफलता के बाद कलाम बहुत निराश हो गए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात शिवानंद स्वामी जी से हुई , शिवानंद स्वामी ने जो उपदेश उस समय कलाम को किया वह हम सब को जरूर पढ़ना चाहिए।
शिवानंद स्वामी ने कहा “जीवन में जो कुछ हो है उसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए। तुम इस धरती पर शायद एयर फ़ोर्स पायलट बनने के लिए नहीं आये हो। तुम क्या बनोगे ये पहले से तय है पर अभी तुम्हे नहीं समझ आएगा। तुम इस असफलता को भूल जाओ क्युकी जिस रास्ते तुम्हे जाना है उसके लिए ये जरुरी थाजिसके लिए तुम बने हो। जिस चीज से तुम्हे ख़ुशी मिलती है उस मकसद को ढूंढो बाकि सब भगवान पर छोड़ दो। “
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इंडियन स्पेस रिसर्च
किताब में बताया गया है की कैसे उन्होंने एरोनॉटिकल डेवलोपमेन्ट इस्टैब्लिशमेंट से अपने करिअर की शुरवात की और कैसे उनको एयरक्राफ्ट के डिज़ाइन टीम का हिस्सा बना लिया गया। बाद में उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च को जॉइन किया।किताब में भारत के सैटेलाइट और मिसाइल प्रोग्राम के डिटेल्स में जानकारी दी गई है। जिन वाचको को इसमें इंट्रेस्ट है उनको किताब का यह हिस्सा बहुत ही रोमाँचकारी लग सकता है।
नेतृत्व की विरासत
एक नेता के रूप में, डॉ. कलाम ने सत्यनिष्ठा, करुणा और दूरदर्शी सोच के गुणों का उदाहरण प्रस्तुत किया। भारत के लोगों की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के प्रति उनके अटूट समर्पण ने देश और दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी। “विंग्स ऑफ फायर” के माध्यम से, पाठकों को डॉ. कलाम के नेतृत्व को निर्देशित करने वाले सिद्धांतों और भारत के भविष्य को आकार देने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने पर उनके प्रभाव के बारे में जानकारी मिलती है।
“विंग्स ऑफ फायर” सिर्फ एक किताब से कहीं अधिक है – यह सपनों की शक्ति, मानव आत्मा की लचीलापन और एक व्यक्ति की यात्रा की परिवर्तनकारी क्षमता का एक प्रमाण है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथा दुनिया भर के पाठकों को प्रेरित और उत्साहित करती रहती है, हमें याद दिलाती है कि जुनून, दृढ़ता और अपने सपनों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, हम भी नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। तो, आइए हम डॉ. कलाम के साथ उड़ान भरें और “विंग्स ऑफ फायर” के पन्नों के माध्यम से प्रेरणा और खोज की यात्रा पर निकलें।